Pahchaan
जब मेरे
आईने ने पहचाना न अक्स मेरा,
मैं और
किससे जाकर अपनी पहचान पूंछूं?
गिरते
संभलते किया है शुरू ज़िन्दगी का सफ़र,
मैं किससे
जाकर अपने आगाज़ का अंजाम पूंछूं?
लोग कहते
हैं तेरा नाम और तेरी पहचान क्या है,
कौन है
तू, आया कहाँ से और तेरा ईमान क्या है.
मैं तो
समझाता था अब तलक खुद को इंसान,
अब मैं
किससे जाकर अपनी नयी पहचान पूंछूं?
Superb!!!
ReplyDeletePehchan Kaun??
ReplyDeletenice composition :) keep it up :)
ReplyDeleteThanks a ton!!!
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